कोई मुझे बुलाता रहा और, मैं रोती रही दिल के जख्मों को, रो-रो कर आंसुओं से धोती रही।
आंखों से आंखें मिलते हैं, दो से चार बनकर हम आप से, मिलेंगे गले का हार बनकर |
अपनी हार पर इतना, शकून था मुझे, जब उसने गले लगाया, जीतने के बाद।
मेरे इरादे मेरी तक़दीर बदलने, को काफी हैं, मेरी किस्मत मेरी लकीरों की, मोहताज़ नहीं।
मेरी आवाज़ ही परदा है, मेरे चेहरे का, मैं हूँ ख़ामोश जहाँ मुझको, वहाँ से सुनिए।
किसी को तलाशते तलाशते, खुद को खो देना, आंसा है क्या आशिक हो जाना।
मर जाने की ख्वाइश को मैं कुछ इस, कदर मारा करता हूँ, दिल के जहर को मैं कागज पर, उतरा करता हूँ।
सब होगा मुकम्मल कबूल, बनेंगे लाख जरिये हुजूर एक दफा, मोहब्बत तो करिये।
गर वफ़ाओं में सदाक़त भी हो, और शिद्दत भी, फिर तो एहसास से पत्थर भी, पिघल जाते हैं।
जिंदगी कीस्मत से चलती, है दीमाग से चलती तो, बीरबल बादशाह, होता |
मिलना तो हम तब भी चाहेंगे, तुझसे जब तेरे पास वक्त, और हमारे पास साँसों, की कमी होगी |
जानु बोलने वाली लड़की, हो या ना हो पर ओये हिरो, बोलने वाली माँ जरूर है |
दावे दोस्ती के मुझे, नहीं आते यारो एक, जान है जब दिल, चाहें मांग लेना l